रावत की कलम से
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(1) जिन्दगी की कीमत वो क्या जाने,
जो जिन्दगियां मिटा देते हैं ।
जिन्दगी की कीमत तो उनसे पूछिए,
जो जिन्दगी के लिए खून पसीना एक कर देते हैं ।
(2) प्रेम करके हमने क्या पाया है.
बस अपना समय किया जाया है.
इश्क़ किया जिससे ज़हां से ज़्यादा,
उससे हमने बस धोखा खाया है…
(3) कलम हाथ में आकर बोली कुछ लिख दे।
फिर मैंने सोचा क्या लिखूं आज कुछ खास।
रंजिश लिखूं तो कुछ फायदा नहीं है।
फिर दिल ने कहा चल मुहब्बत लिख दे।।
(4) सुना है इश्क समुंदर की तरह गहरा होता है।
न जाने हम कब उसमें गोते लगायेंगे।
(5) प्रेम का रोग भी बड़ा अजीब है
देखता न अमीर न गरीब है…
चाहे कितने भी पहरे लगा लो,
प्रेमी एक दूजे के सदा करीब हैं.
©2013 अनूप रावत “गढ़वाली इंडियन”
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