रावत की कलम से
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गौला मा हंसुली नाक नथुली सजणी छै
हाथों मा चूड़ी, खुट्यों पैजबी बजणी छै.
पैन्युं छौ लाल बिलोज मा पिंगली साड़ी
गैल्याण्यु गैल हिटणी छै सबसे अग्वाड़ी
देखदा ही ख्वेगे छौ मी विंकी आंख्यों मा
मन भरमैगे मेरु विंकी रसीली बातों मा.
कनिके बिंगो वीमा अपरा दिल की बात
ख्याल विंका ही आणा सरया दिन रात
कब ऐली वा मीमा दगिड्यो रौडी-दौड़ी
कब बणाली हमारी मल्यो की सी जोड़ी
हे प्रभु अब तू ही मेरी माया विमा बिंगे दे
मिथे वींकू अर वींथे मेरी गैल्या बणे दे…
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