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बढती ही जा रही है मंहगाई देखो भाई साहब
रुपया हो गया अठन्नी और अठन्नी गायब..
हर पल आम आदमी को यह तो सता रही है
तेज गति से रोज मंहगाई देखो दौड़ रही है
हर किसी के दामन से खुशियाँ छीन रही है
खून आम आदमी का अब ये निचोड़ रही है
आमदनी है अठन्नी, तो घर खर्चा है रुपय्या
घरवाली बोले और चाहिए रुपये ओरे सैय्यां
कैसे पार लगाऊ मैं अब अपने घर की नैय्या
कैसे कटे जिंदगी अब आप ही बताओ भैय्या
पहले प्याज काटो तो तब ही आंसू आते थे
अब तो प्याज का भाव सुनकर आ जाते हैं
एक टमाटर को अब चार सब्जी में खाते हैं
मंहगाई घटना तो गुजरे ज़माने की बातें हैं
वादे करके सारे नेता हो गये देखो कैसे गोल
अब तो हर रोज बढे है गैस, डीजल, पेट्रोल
मंहगाई का रस जिंदगी में ऐसे न अब घोल
कैसे होगा सब ठीक अब हे प्रभु कुछ बोल
पढ़ना लिखना भी हो गया है अब तो महंगा
स्कूली ड्रेस, बस्ता, पेन सब हो गया महंगा
तन ढकना भी मुश्किल हो गया है अब तो
कमीज पैंट धोती कुरता चुनरी और लहंगा
नमक महंगा तो शक्कर हो गयी नमकीन
कम होगी मंहगाई सरकार बस बजाये बीन
मुश्किल से हो पाए दो वक्त की रोटी का गुजारा
सब हो गये हैं कैसे इस बीमारी से दीन-हीन
न जाने किस जन्म की गलती की है सजा
दिन रात पड़े है अब तो यह महंगाई की मार
नमक छिड़कने ऊपर से आ जाये भ्रष्टाचार
सजा मिले किसी को तो कोई और कसूरवार
हे प्रभु रावत अनूप करे बस इतनी सी विनती
इस मंहगाई डायन से हमको लो अब बचालो
हमारे जीवन की गाड़ी अब पटरी पर लगालो
कलयुग में कोई चमत्कार अब तो करवालो
बढती ही जा रही है मंहगाई देखो भाई साहब
रुपया हो गया अठन्नी और अठन्नी गायब..
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
“गढ़वाली इंडियन” दिनांक -१६-०३-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
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